अगर न सुलझें उलझनें/सब ईश्वर पर छोड़। नित्य प्रार्थना कीजिये/ शांत चित्त कर जोड़।

Tuesday 4 September 2012

नित्य प्रार्थना कीजिये



 अगर न  सुलझें उलझनें, सब ईश्वर पर छोड़। 
नित्य प्रार्थना कीजिये, शांत चित्त कर जोड़। 

शक्ति बड़ी है ईश में, उसके शक्त विधान।
जब भी मन पर बोझ हो, करें प्रार्थना ध्यान।
 
ईश विनय  मनु जान ले, सबसे सुगम उपाय।   
मन से माँगी हर दुआ,  कभी न खाली जाय
 
कर्म हमारे हाथ है, फल तो देगा ईश। 
नित्य करें शुभ कामना, पाएँ शुभ आशीष।
 
जो नसीब में है लिखा, होना है तय जान,
मगर विनय से कष्ट कम, होगा यही विधान।
 
बंद नहीं रहते कभी, किस्मत के सब द्वार।
दिखलाती है प्रार्थना, नया द्वार हर बार।
 
आ जाए यदि सामने, किसी रूप में काल,
जाएगा सुन प्रार्थना, नत होकर तत्काल। 
 
कहना चाहे “कल्पना”, बात नहीं अज्ञात।
मानें तो कर जोड़िए, बाकी मन की बात। 

--कल्पना रामानी

6 comments:

संध्या सिंह said...

अगर काल भी सामने, किसी रूप में आय,

सुनकर सच्ची प्रार्थना,खाली वापस जाय।....सभी दोहे सुन्दर हैं मगर इस दोहे में बहुत भाव हैं ...बधाई आपको कल्पना जी इन अनमोल दोहों के लिए

सुरेश चौधरी प्रस्तुति said...

bahut sundar gyanpurn dohe badhai kalpana ji

Unknown said...

nice..

shashi purwar said...

blog bahut sundar hai , par follow ka option nahi hai ....?wah kariye jisase update dikhte rahenge blog ki setting kijiye aur comments se verification bhi hata dijiye

Roshan said...

Wow

sargam said...

bahut badhiya. man jab aswasth ho to prarthana hi param aadhar hai.
bhupal sood

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

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