जितनी
सुंदर क्यारियाँ, उतने सुंदर
फूल।
रक्षा
कवच बने हुए, साथ
सजे हैं शूल।
अद्भुत
कुदरत की छटा, करती
ह्रदय विभोर।
पुलकित
शबनम से सजी, कितनी
सुंदर भोर!
पंछी
कलरव कर रहे, भँवरे
गुनगुन गान।
दूर
कहीं से आ रही, कुहू
कुहू की तान।
शुद्ध
हवा मन भा रही, ठंडी
ठंडी धूप।
नयनों
को सुख दे रहा, प्रातः
का यह रूप।
झूलों
पर छाया हुआ, किलकारी
का शोर।
नन्हें
बालक बाग में, झूम
रहे चहुं ओर।
सूर्य
किरण समझा रही, क्यों
सेहत से बैर।
निकल
पड़ें फुटपाथ पर, करें
सुबह की सैर।
-कल्पना रामानी
1 comment:
waah bahut sundar...subah ki sair ne to taza kar diya...
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