11)
थक जाऊँ तो पास बुलाए।
नर्म छुअन से तन सहलाए।
मिले सुखद, अहसास सलोना।
क्या सखि साजन?
नहीं, बिछौना!
12)
रातों की वो नींद उड़ाए।
अपनी धुन में गीत सुनाए।
बात न माने, बैरी बर्बर।
क्या सखि साजन?
ना सखि, मच्छर!
13)
उसका नाम सदा मैं टेरूँ।
नित्य उसी की माला फेरूँ।
रूठ न जाए, मुझसे दैया!
क्या सखि साजन?
नहीं, रुपैया!
14)
सो जाती जब पलकें मींचे।
चुपके से बाहों में भींचे।
सपने देख गुजरती रतिया।
क्या सखि साजन?
ना सखि तकिया!
15)
रातें मेरे साथ बिताए।
परीलोक की सैर कराए।
दिन में मुँह न दिखाए अपना।
क्या सखि साजन?
ना सखि सपना!
16)
चिपका-चिपका साथ घूमता।
बाल सूँघता, गाल चूमता।
लट उलझाए वो मतवाला।
क्या सखि साजन?
ना सखि बाला!
17)
जी करता है उड़कर जाऊँ।
कुछ पल उसके संग बिताऊँ।
दूर बहुत ही है उसका घर,
क्या सखि, साजन?
ना सखि, अम्बर!
18)
रातों को जब नींद न आए।
खिड़की खोल सखी, वो आए।
बाग बाग हो जाता मनवा।
क्या सखि प्रियतम?
ना री पुरवा!
19
उसको प्यार बहुत करती हूँ।
मगर पास जाते डरती हूँ।
दूर खड़ी देखूँ जी भरकर,
क्या सखि, प्रियतम?
ना सखि सागर!
20)
जब भी मेरा मन भर आए।
आँसू पोंछे प्यार जताए।
रखता मेरा पल-पल खयाल
क्या सखि, साजन?
ना सखि, रुमाल!
-कल्पना रामानी
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