जागो भारतवासियों, आज वक्त की माँग।
जो नकाब में छिप रहे, तोड़ें उनका स्वाँग।
जन-हित को तैयार हों, लेकर जोश जुनून।
साम दाम औ भेद से, बने शक्त कानून।
आज एकजुट हों सभी, सुलग रहा है देश।
हर संभव तदवीर से, शुभता करे प्रवेश।
युग निर्माता देश के, कर प्रयत्न दिन रात,
आज़ादी की दे गए, हमें सुखद सौगात।
प्राण निछावर कर दिये, हरने जन की पीर,
याद करेंगी पीढ़ियाँ, भर नयनों में नीर।
आज सपूतों देश के, नव निर्माता आप,
आलस निद्रा त्यागकर, बदलें क्रिया कलाप।
नष्ट करें यदि स्वयं के, अंतर का तम-कूप,
बन जाएगा देश ये, स्वर्ग धाम का रूप।
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