चर्चा घर-घर में चली, आया साल नवीन
आगत का स्वागत करें, भूलें अब प्राचीन।
रतजागे में रत सभी, हलचल चारों ओर
आ पहुँची नव-वर्ष की, रस भीगी सी भोर।
चारों ओर बधाइयाँ, मधुर-मधुर संगीत
दिशा-दिशा है गा रही, अभिनंदन के गीत।
मित्रों नूतन साल में,ऐसी हो तदवीर
बदल जाय हर हाल में, भारत की तस्वीर।
सजे धजे बाज़ार हैं, पब, क्लब, होटल, माल
बारहमासी पाहुना, आया नूतन साल।
नया साल फिर आ गया, जागा है विश्वास
कर्म डोर थामे रहें, पूरी होगी आस।
नई सुबह सूरज नया, नए बरस के साथ
सुख दुख मिल साझा करें, मीत बढ़ाकर हाथ।
लाया नूतन साल है, नए नए उपहार
कलुष मिटाकर मनस का, बाँटें प्यार अपार।
बनी रहे यह श्रंखला, सकल विश्व की माल
हर कोने को जोड़कर,आया नूतन साल।
लिखते
लिखते ‘कल्पना’, थका
लेखनी-हाथ।
फिर
भी वो खुश आज है, नए
वर्ष के साथ।
-कल्पना रामानी
No comments:
Post a Comment