तुलसी पालनहार है, कई गुणों की खान।
सुलभ सदा हर स्थान पर, बस इसको पहचान।
दिव्य औषधि रूप हैं, तुलसी के कुछ पात।
पूजा मन से कीजिये, समझें इसको मात।
ना माँगे सेवा घणी, नहीं अधिक घेराव।
निर्मल जल से सींचिए, श्रद्धा का हो भाव।
खांसी हो या ताप हो, पत्ते लें दो चार।
काढ़े में सेवन करें, बड़ा सुगम उपचार।
शमन करे कफ दोष का, मुख पर आए ओज।
भिनसारे उठ चाबिए, कुछ पत्ते हर रोज़।
उबले जल में डालिए, तुलसी के कुछ पात।
साँसें खींचें ज़ोर से, कफ से मिले निजात।
तन त्रिदोष से मुक्त हो, मन को मिले हुलास।
शुद्ध रक्त संचार हो, तुलसी के गुण खास।
उलझा धन के लोभ में, आज मूढ़ इंसान।
वो दौलत किस काम की, करे न रोग निदान।
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