अगर न सुलझें उलझनें/सब ईश्वर पर छोड़। नित्य प्रार्थना कीजिये/ शांत चित्त कर जोड़।

Saturday 3 November 2012

माँ लक्ष्मी दे दो हमें



माँ लक्ष्मी दे दो हमें, ऐसा तुम वरदान। 
तिमिर विश्व का दूर कर, फैलाएँ सदज्ञान।

युग युग से जलते रहे, दीप हमारे द्वार। 
माँ तुम आकर मेट दो, अंतरतम इस बार।

राह दिखाओ माँ हमें, बढ़ें कदम जिस छोर
दीपक प्रेम-प्रकाश के, जगमग हों उस ओर।

चाह  नहीं  धन  की  हमें, नहीं  चाहते  ताज। 
रावण  राज्य  विनष्ट  हो, चाहें  पुनः  सुराज। 

जहाँ अँधेरे घोर हों, मायूसी दिन रात। 
बन प्रकाश जाना वहाँ, दीवाली की रात।

जन कल्याणी काट दो, जन-जन-मन का क्लेश। 
रिद्धि-सिद्धि, सुख सम्पदा, का हो बहुल प्रवेश।


-कलपना रामानी

No comments:

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

Followers