समय चक्र चलता रहा, घड़ियाँ भी गतिमान।
हौले हौले आ गया, नया साल मेहमान।
सुखकारी नव-वर्ष हो, करें इस तरह काज।
सत्य जयी होकर रहे, गिरे झूठ पर गाज।
लो मुस्काती आ गई, नवल वर्ष की भोर।
स्वागत नूतन वर्ष का, नई सुबह के साथ।
नए वर्ष का आगमन, लाया शीत अपार।
कुहरे में लिपटा हुआ, हर इक स्वागत द्वार।
चमन बनाएँ देश को, ज्यों हो सबको नाज़।
नए साल के साथ में, लाएँ जनता राज।
-कल्पना रामानी
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