अगर न सुलझें उलझनें/सब ईश्वर पर छोड़। नित्य प्रार्थना कीजिये/ शांत चित्त कर जोड़।

Saturday 10 January 2015

समय चक्र चलता रहा

समय चक्र चलता रहा, घड़ियाँ भी गतिमान।  

हौले हौले  गया, नया साल मेहमान।

सुखकारी नव-वर्ष हो, करें इस तरह काज। 
सत्य जयी  होकर रहेगिरे झूठ पर गाज।

रतजागे में रत सभी, शोर मचा चहुं ओर। 
लो मुस्काती गई, नवल वर्ष की भोर।


पंछी दुबके नीड़ में, थर थर काँपे रात। 
स्वागत नूतन वर्ष का, नई सुबह के साथ।

नए वर्ष का आगमन, लाया शीत अपार। 
कुहरे में लिपटा हुआ, हर इक स्वागत द्वार।

चमन बनाएँ देश को, ज्यों हो सबको नाज़
नए साल के साथ में लाएँ जनता राज।

-कल्पना रामानी 

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--कल्पना रामानी

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